हमारी प्रकृति हमारी पृथ्वी देश की सोच क्या है कैसी है

                हम इस देश में रहने वाले नागरिक है 


                       

जो हम अपने देश के प्रति प्रेम व्यव्हार और जागरूक रहे। लेकिन आज के समय में कोई कुछ नहीं सोचता की हम क्या बोल रहे है और क्या कर रहे है। हम लोगों में स्वच्छता के प्रति जागरुकता की कमी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चिंता जताई है। 11 सितम्बर को शिकागो सम्मेलन में स्वामी विवेकानंद के भाषण के 125-वर्ष पूरे होने पर विज्ञान भवन में छात्रों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने इस विषय पर चर्चा की। देश में गंदगी का अंबार लगाने के पीछे तो भारतीय मानसिकता और कुछ संसाधनों का कमी को दोष है। गंदगी फैलाने वालों के खिलाफ सख्त कानून का न होना भी देश को स्वच्छ बनाने की राह में रोड़ा है। कहीं भी थूक देने या सरेराह कचरा फैलाने की हम भारतीयों की आदत देश को स्वच्छ नहीं होने दे रही है। देश के ज्यादातर सार्वजनिक स्थल किसी भी कूड़ाघर सरीखे ही दिखते हैं। कई स्थानों पर कूड़ेदान रखे ही नहीं जाते। जहाँ कहीं रखे जाते हैं, वहाँ कई दिनों तक उनकी सफाई नहीं होती। ऐसे में पूरी जगह ही गंदगी से घिर जाती है। लिहाजा लोगों को इसे और गंदा करने में कोई शर्म या अफसोस नहीं होता। भारत में आज तक इस संबंध में कोई केंद्रीय कानून नहीं बनाया गया है। कई शहरों में नगर-पालिकाएँ लोगों को जुर्माने की चेतावनी देती हैं, लेकिन उनको अमल में नहीं लाया जाता। 

                               

प्लास्टिक की दुनिया बहुत बड़ी है। आजकल प्लास्टिक का उपयोग हर जगह हो रहा है। एक प्लास्टिक बैग में उसके वजन से 2,000 गुना ज्यादा भार ढोया जा सकता है। हर साल दुनिया में 500 खरब प्लास्टिक बैग प्रयोग में लाए जाते हैं। अर्थात हर मिनट 20 लाख प्लास्टिक बैग का इस्तेमाल लोग करते हैं। एक अनुमान के अनुसार हिन्दुस्तान में एक व्यक्ति एक वर्ष में लगभग 9.7 किलो प्लास्टिक का इस्तेमाल करता है लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि जिन प्लास्टिक की बनी चीजों का आप उपयोग कर रहे हैं वह आपके लिये सही है या नहीं? 

इनमें से कुछ खाद्य पदार्थों को विषैला बनाने में सक्षम होते हैं। ये कैंसर पैदा करने की सम्भावना से युक्त होते हैं। कई शोधों से यह बात सामने आई है कि प्लास्टिक के बने उत्पादों को हम जितनी सुलभता से इस्तेमाल में लाते हैं वह हमारे लिये उतना ही घातक है। हम बेफिक्र होकर प्लास्टिक के कप और डिस्पोजेबल में हम चाय कॉफी एवं अन्य गर्म खाद्य पदार्थ खाना-पीना शुरू कर देते हैं लेकिन उसमें ऊपरी भाग में एक परत मोम की होती है जो गर्म चीजों के पड़ते ही पिघलने लगती है।

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